Saturday, November 2, 2013

वादी,संवादी के हो ?

वादी- राग का सबसे महत्वपूर्ण स्वर वादी कहलाता है। इसे राग का राजा स्वर भी कहते हैं। इस स्वर पर सबसे ज़्यादा ठहरा जाता है और बार बार प्रयोग किया जाता है। किन्हीं दो रागों में एक जैसे स्वर होते हुये भी उन में वादी स्वर के प्रयोग के द्वारा आसानी से फ़र्क बताया जा सकता है। जैसे कि राग भूपाली में और राग देशकार में एक जैसे स्वर लगते हैं- सा, रे, ग, प, ध मगर राग भूपाली में ग वादी है और राग देशकार में ध स्वर को वादी माना गया है। इस तरह से दोनों रागों के स्वरूप बदल जाते हैं।

संवादी-


राग का द्वितीय महत्वपूर्ण स्वर होता है संवादी। इसे वादी से कम मगर अन्य स्वरों से ज़्यादा प्रयोग किया जाता है। इसे वादी स्वर का सहायक या राग का मंत्री स्वर भी कहते हैं। वादी और संवादी में ४-५ स्वरों की दूरी होती है। जैसे अगर किसी राग का वादी स्वर है रे तो संवादी शायद ध या नि हो सकता है।

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